हैलो दोस्तों, आज की हमारी पोस्ट ईर्ष्या के बारे में हैं, इसमें हम समझेंगे की ईर्ष्या से बचने के उपाय क्या है, क्या ईर्ष्या करना उचित हैं, या अनुचित तो आइए जानते हैं :-
ईर्ष्या का अर्थ, ईर्ष्या क्या होती हैं, ईर्ष्या से बचने के उपाय, ईर्ष्या करना उचित हैं, या अनुचित
* ईर्ष्या का अर्थ :-
दोस्तों, ईर्ष्या का अर्थ उस भावना या अवस्था से है, जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को स्वयं से बड़ा समझ, स्वयं को हीन मानने लगता हैं मन की इस दुर्बलता से उत्पन्न भाव को ईर्ष्या कहा जाता हैं सही मायने में यह ही ईर्ष्या का अर्थ हैं |

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* ईर्ष्या क्या होती हैं :-
दोस्तों, अब हम समझते हैं कि ईर्ष्या क्या होती हैं, ईर्ष्या एक ऐसा भाव है जो किसी के पास ऐसी सुन्दर वस्तु या जर, जोरू और जमीन हो जिसे ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति सपने में भी नहीं प्राप्त कर सकता हैं, तो जो उस व्यक्ति के मन में भावना पैदा होती हैं उसे ही ईर्ष्या कहा जाता हैं | ईर्ष्या एक मन की भावना जो कभी भी किसी के भी मन में आ सकती हैं, किन्तु जो लोग इस भावना को अपने मन से निकाल फेकते हैं, वह सफल हो जाते हैं और जो लोग ईर्ष्या की भावना को मन में रखते हैं वह जिंदगी भर मन ही मन जलते रहते हैं |
* ईर्ष्या से बचने के उपाय :-
दोस्तों, अब हम समझेंगे की स्वयं को ईर्ष्या के भाव से कैसे बचाया जा सकता हैं इसके लिए हम निम्न में दिए गए बिन्दुओ पर गौर करेंगे और उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे :-
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(1) आप को जिस व्यक्ति से ईर्ष्या हैं, उसके सामने जाकर उसकी तारीफ करें :-
दोस्तों, अगर आप को किसी व्यक्ति से ईर्ष्या हैं और आप ईर्ष्या से बचने के उपाय करना चाहते हैं, तो आपको अपने ईर्ष्या के भाव से बचने के लिए उस व्यक्ति जिससे ईर्ष्या हैं, उसके पास जाकर उसकी तारीफ करें, अगर उसके पास कोई सुंदर वस्तु जिससे आपको ईर्ष्या का भाव आता हो तो आप उस वस्तु की तारीफ करें | इससे आप अपने ईर्ष्या के भाव को खत्म करने में कामयाब हो जाएंगे |
(2) हमेशा स्वयं के लिए सकारात्मक सोचें :-
दोस्तों, ईर्ष्या का भाव हमेशा स्वयं को हीन समझने से आता हैं यह एक नकारात्मक सोच हैं, अगर आप ईर्ष्या के इस हीन भाव से ईर्ष्या से बचने का उपाय करना चाहते हैं, तो आपको नकारात्मक की बजाए सकारात्मक सोच को अपनाना होगा | जैसे आप किसी वस्तु को लेकर ईर्ष्या कर रहे हैं, तो आपको यह सोचना होगा कि आप भविष्य में स्वयं की मेहनत से अर्जित पैसो से उस चीज को खरीद सकते हैं |

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(3) स्वयं को कभी भी किसी से कम न आंके :-
दोस्तों, ईर्ष्या का भाव आने पर आप दूसरों को स्वयं से अधिक समझदार या स्वयं से अधिक बलवान समझने लगते हैं, आप इस ईर्ष्या से बचने के उपाय करना चाहते हैं, तो आपको स्वयं को कभी भी किसी से कम आंकना नहीं चाहिए | इससे आप ईर्ष्या के हीन भाव से बच पाते हैं और आपकी ईर्ष्या भी स्वतः ही समाप्त हो जाएगी |
(4) स्वयं के लालच को खत्म करें :-
दोस्तों, ईर्ष्या से बचने के उपाय के लिए आपको अपने अंदर के लालच से लड़ना होगा, जो लोग स्वयं के लालच से घिरे रहते हैं, वह कभी भी स्वयं की ईर्ष्या से बाहर नहीं निकल सकता हैं | इसलिए अपने अंदर के लालच को खत्म कर अपनी ईर्ष्या को भी समाप्त कर दे |
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* ईर्ष्या करना उचित हैं, या अनुचित :-
दोस्तों, ईर्ष्या करना उचित या अनुचित से परे हैं, क्योकि अगर आप के मन में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होता हैं, तो यह स्वभाविक हैं | जब आप ईर्ष्या के भाव को उत्पन्न होने पर उसे अपने मन से निकाल देते हैं, तो यह उचित हैं, परन्तु जब आप ईर्ष्या के भाव को अपने मन से नहीं निकाल सकते तो यह अनुचित हैं |
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